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ऐसी टाइलें चुनें, जो कमरे के आकार और आपके घर की शैली के अनुकूल हों। आकार और वेंटिलेशन के स्तर को बढ़ाने के लिए, छोटी जगहों पर बड़े और हल्के रंग के टाइल लगाने चाहिए, लेकिन कई रसोईघरों और बाथरूमों में छोटी टाइलें लगी होती हैं।
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अपनी टाइलों को पानी के रिसाव और लंबे समय तक खराब होने से बचाने के लिए, उचित मिट्टी की परत संघनन, सबफ्लोर लेवलिंग, ईंट और प्लास्टरवर्क को पूरा करने तथा वॉटरप्रूफिंग के माध्यम से टाइल की सर्वोच्च तैयारी को प्राथमिकता दें।
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टाइल लगाने का कार्य शुरू करने से पहले, देख लें कि सतह चिकनी हो और संरचनात्मक रूप से ठोस हो तथा साथ ही सुनिश्चित करें कि साइट में उचित प्रकाश व्यवस्था और वेंटिलेशन हो।
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टाइलें सही कोणों पर लगानी चाहिए तथा इसके कोने मुड़े हुए नहीं होने चाहिए। 1:6 के अनुपात में पानी और मोर्टार मिलाकर पहले ही मिक्स सीमेंट प्लास्टर बना लें। सीमेंट के जोड़ों को सिकुड़ने से बचाने के लिए इसी अनुपात का पालन करें। साथ ही, दो टाइलों के बीच न्यूनतम जोड़ बनाएं और अतिरिक्त जोड़ों को पोंछ दें।
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टाइलों को एक दूसरे से समान दूरी पर रखा जाना चाहिए।
एक बार लग जाने के बाद सीमेंट ग्राउट से जोड़ों को भर दें।
6
टाइलों को फिक्स करने के बाद, टाइलिंग क्षेत्र को गीले पोछे
से साफ करें और फिर अच्छी तरह से पोछकर
साफ कर लें। उन फर्शों को कम से कम
एक हप्ते तक किसी के भी पहुंच से दूर रखें,
जिन पर हाल ही में टाइल लगाई गई हो।
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दरारें, टूटन और डी-बॉन्डिंग जैसे दोषों को रोकने के लिए
उचित सुपरविजन के साथ टाइल लगवाने का कार्य कराएं,
नहीं तो इनके लिए बाद में आपको अतिरिक्त लागत खर्च
करनी पड़ सकती है। टाइल लगाने का खर्च,
आपके गृह निर्माण के एक चरण में
शामिल किया जाना चाहिए।
टाइल निर्माण निश्चित रूप से श्रमसाध्य है, लेकिन सही उपाय से ये लंबे समय तक बने रह सकते हैं। एक बार जब आप इनमें महारत हासिल कर लेते हैं, तो आपको अपने घर में टाइल लगवाने में अधिक समय नहीं लगेगा।